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Tuesday, October 19, 2021

तन्हाई

 ये जो अतराफ़ में रिश्तों का जाला है 

एक भी इसमें न काम आने वाला है


नही उम्मीद कोई  साये से भी अपने

इसका लहजा भी तो ज़माने वाला है


यादे माज़ी में रोने से अब क्या हासिल 

गुज़र गया जो ज़माना न आने वाला है


है अगर शौके मुहब्बत तो यादों से करो

यही वो शय है जो साथ निभाने वाला है


आओ अब लौट चलें अपने आशियाने में 

धूप तेज़ है बाहर तूफां भी आने वाला है।

Saturday, August 28, 2021

परदेसी की ज़िन्दगी

 कहते हैं कि एक न एक दिन हर बिछड़ा हमेशा के लिए मिल जाएगा,

लेकिन उसका क्या जो किसी न किसी हालात के तहत अपना घरबार अपना सब कुछ छोड़ कर परदेस जा बसा, और सार दो साल बाद छुटियां बिताने के नाम पर चंद सांसे अपनों के साथ बिताने चला आता है, लेकिन हक़ीक़त में उसका दिल कभी भी इस खुशी से सैराब नही हो पाता, क्योंकि आखिर उधार की सांसें कितना सकूंन दे सकती है? छुट्टियों पर आने से पहले ही जाने का दिन मुकरर हो जाता है।

जवानी के दिन का निकला घर आया तो शादी हुई फिर बच्चे किस्तों में हुए, उनके साथ भी जी भर के अपना प्यार नही लुटा पाया, बच्चा जब तक अपने बाप को पहचानता है तबतक छुट्टियां खत्म हो जाती है, दुबारा आया तो बच्चा दौड़ने भागने लगता है, और इसी तरह एक एक करके दिन काट जाते हैं, और जब रिटायरमेंट का समय आता है तो बेटा जवान हो कर खुद रोज़ी की तलाश में बाहर चला जाता है।

बीवी बूढ़ी और कमज़ोर तरह तरह की बीमारियों का ढेर हो जाती है।

बस यही है एक परदेसी की ज़िंदगी।

Friday, May 7, 2021

शेरे सिवान मोहम्मद शहाबुद्दीन

 सिवान की अवाम को एक अरसे से मोहम्मद शहाबुद्दीन की वापसी का इंतज़ार था ताकि वे फिर सिवान को पहले जैसा फलता फूलता देख पाते ,लेकिन अफसोस सद अफसोस कि ये क़ुदरत को मंजूर नही था और साहेब कुछ लोगों के नापाक साज़िश का शिकार होकर माअबूदे हक़ीक़ी से जा मिले।

अब उनके बेटे ओसामा शहाब पर लोगों की नज़रें टिकी है, अब देखते हैं हिना मैडम के साथ ओसामा शहाब का क्या एक्शन प्लान होता है , और वे किस तरह अपने चाहने वालों के बीच आते हैं ,और क्या रणनीति अपनाते हैं।

क्योंकि जिस तरह से बिहार की पोलिटिकल पार्टियों ने उनका इस्तेमाल किया और उनके परिवार को तनहा छोड़ दिया और फिर उन्हें भूल गए, लेकिन वे ये भी भूल गए कि शहाबुद्दीन के नाम से ही इलेक्शन में लोग कामयाब हो जाते हैं।


जो लोग उनके नाम मात्र से ही अपना पेंट गीली कर दिया करते थे आज उनके जाने के बाद उनके खिलाफ जिस तरह उनके बारे में अपशब्द बोल रहे हैं उन्हे ये याद रखना चाहिए कि शहाबुद्दीन उस टीपू सुल्तान के कौम से हैं जिन्हें मारने बाद भी अंग्रेजों को उनके लाश के पास जाने की हिम्मत न हुई।

Thursday, February 2, 2017

झूट बोलूं तो खुद पत्थर हो जाऊं

सच बोलूं तो पत्थर चले मुझ पर
झूट बोलूं तो खुद पत्थर हो जाऊं

आ समेट लूँ तुझे अपनी आगोश में
डूबा लूँ खुद में और समंदर हो जाऊं

तुझसे बिछड़ के अब लगता है मुझे
जिस्मो जान से मैं अब बेघर हो जाऊं

मेरी ये शादाबी तुम से है नासिर
तू अगर न हो तो मैं बंजर हो जाऊं 

Saturday, January 28, 2017

तुझे आखिर ये क्या हो गया है

तुझे आखिर  ये क्या  हो गया है
किस बात पे तू मुझ से खफा है

तू कहे तो छोड़ दूं ये खुदाई भी
सिर्फ कह दे यही  के तू मेरा है

जिस्म हूँ मैं तो  ,तू  जान है मेरी
फिर भी क्यों तू मुझ से जुदा है

बिछड़ के भी तुझसे मैं ज़िंदा रहा
शायद ये किसी की  बददुआ है

सबकी अपनी अपनी मजबूरियां है
कैसे कहदूँ नासिर के तू बेवफा है 

Sunday, January 8, 2017

तू मेरे साथ रह के भी मुझको कभी न मिला

इस शहरे बे अमां में अपना कोई न मिला
गले लगाके जिसे रो सकूँ ऐसा कोई न मिला

जानते हैं सब यहां ओहदों के नाम से
ढूढने के बाद भी कोई आदमीं न मिला

इस कायनात से बस एक तुझे ही माँगा था
मगर मेरा नसीब के मुझे तू ही न मिला

नज़दीकियों के बाद भी तुझ को न देख पाया
तू मेरे साथ रह के भी मुझको कभी न मिला

सारे रिश्ते यहां नासिर घरों में रहते हैं
इस शहर में कोई भी अजनबी न मिला

Monday, January 2, 2017

Happy new year

नए साल पे मिले मेरे शनासाई बहुत
न जाने क्यों आज तेरी याद आई बहुत

मज़बूत जान के खुदको पत्थर बना लिया
टूटा जो आज तो आवाज़ आई बहुत,