I'm a Product

Monday, December 12, 2016

शेख साअदी शिराज़ी रहमतुल्लाह अलैह

शेख साअदी शिराज़ी रहमतुल्लाह अलैह की वो शोहरा ए आफाक रूबाई आप ने सुनी है
र वायत के मुताबिक वो तीन ही शेर लिख पाये थे रूबाई कि तक्मील के लिये उन्हे चौथा शेर नही मिल पा रहा था जिस से मदीना पहुंच ने के बाद भी गमगीन रहे और इसी फिकर में सो गये !
कि ख्वाब में नबी ए मुर्सलीन हजरत मुहम्मद सल लल्लाहो अलैही वसल्लम को सहाबाए कराम के साथ देखा !
खातेमुन्नबीईन सल लल्लाहो अलैही वसल्लम ने शेख साअदी रहमतुल्लाह अलैह से पूछा क्यों गम्गीने हो ?

शेक सादी रह्मतुल्लाह ने कहा आकाये दोजहां सल ...लल्लाहो अलैही वसल्लम आपकी शान में एक रुबाई लिखी थी मगर चौथा शेर समझमे नही आरहा है कि क्या लिखूं ! 
आप सल लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया अच्छा फिर पढो ! 
और उन्होने जब तीनो शेर पढकर अभी खत्म भी नही किया था की चौथा शेर भी रहमतों की नज़ूल की तरह उनके ज़ेहन में आगया और रुबाई मुकम्मल होगयी ! जो पूरी दुनिय में यों मशहूर है !

ब, ल, ग़ल उला बि कमाले ही !
क, श , फद दुजा बि जमाले ही !!
हसुनत जमीओ खिसा लेही !
सल्लू ' अलै हि व आ लेही !!
१- पहले शेर का मतलब है - सरकार ए दोआलाम ने मेराज का सफर अपनी मख्सूस ज़ात के कमाल के ज़रिये किया
जबकी जिबराईल अमीन से लेकर बुराक को भी आगे जाने का हुकम न था !
ये हमारे नबी का कमाल था !
२- दूसरे शेर का मतलब है - पैगम्बर के जमाल के वजह से अंधेरा खत्म होगया और पूरी कायनात उनके जमाल के नूर से भर गयी !
३- तीसरे शेर का मतलब है - नबि ए मुकर्रम के सभी खसायेल या खूबिया अतम दरजा की हसीन है !
४- उस नबी ए पाक और उनकी आल व औलाद पर सलात ओ सलाम है !
सल लल्लाहो अलैहे व,सल्लम

एक कैलकुलेशन अगर समझ आये तो......

एक कैलकुलेशन अगर समझ आये तो......
वो ये कि 90 के दशक में जवानी की दहलीज में कदम रखता एक युवा उस दौर के मंदिर मस्जिद विवाद में उलझा दिया जाता है। जिस साल वो ग्रेजुएशन करके निकलता है उसी साल बाबरी मस्जिद तोड़ दी जाती है। धर्म की सियासत मन्दिर मस्जिद विवाद से अपने चरम तक जा चुके धार्मिक उन्माद को ठहरने नहीं देती है और इस युवा की भी बाजुएँ दिन रात फड़कती रहती है। उसके बाद के दो दशक के दौरान धीरे धीरे कम होते धार्मिक उन्माद के बावजूद समय समय पर इस विवाद को ज़िंदा रखने का तरकीब निकाल ...ली जाती है मगर न विवाद सुलझता है और न मंदिर बनता है न मस्जिद। 2010 नजदीक आने के साथ साथ उस युवा को धीरे धीरे समझ आने लगता है कि उसके साथ जो धर्म और उन्माद का खेल खेला जा रहा है उसके बेनिफिसियरी सियासतदां राजनीति में स्थापित हो चुके है मगर वो उनके फैलाये उन्माद के पीछे भागता अपनी नौकरी की उम्र पार कर चुका है और कोई ठीक ठाक धंधा पानी करने के लिए उसके पास पूंजी भी नहीं है । मगर आज 2016 में वो युवा फक्र से कह सकता है कि वो बेरोजगार नहीं है बल्कि कहीं चाय की गुमटी लगा कर या कहीं टायरों के पंचर बना कर देश की जीडीपी में अपना योगदान दे रहा है।
उस युवा का नाम राजीव, सुधीर, इस्माइल या जावेद जो चाहो आप रख सकते हो।

गुजराती बनिया

#गुजराती_बनिया
न्यूयार्क में 2 भिखारी एक ॐ का चिन्ह और दूसरा जीसस का क्रॉस लेकर बैठे थे ।।।
सब लोग ॐ वाले भिखारी को गुस्से से देखकर क्रॉस पकड़े हुए भिखारी को डॉलर की नोट देकर आगे निकल जाते
थे।...
कुछ घंटों बाद वहां से एक फादर निकले और उन्होंने ॐ वाले भिखारी से कहा -
भाई...ये क्रिस्चियन देश है,
यहाँ कोई तुम हिन्दू को भीख नहीं देगा...
लोग तो तुम्हे जलाने के लिए क्रॉस वाले भिखारी को और ज्यादा डालर देते जा रहे हैं...
ॐ वाले भिखारी ने क्रॉस वाले भिखारी को देखा और हँसते हुए गुजराती में बोला.....
....
...
....
जिग्नेशभाई.....?
बोलो मनसुखभाई......!
अब ये हमें सिखाएगा धंदा करना


रंग,धर्म,नाम, के इस बंधन से निकलो
दोहरे मापदंड के इस जीवन से निकलो

लुटने लगा है अपना अब ये हिंदुस्तान
अब तो तुम अपने दोगलापन से निकलो
...
छोडदो अबतो चोर नेताओं की चापलोसी
अंध भक्ति की तुम इस बंधन से निकलो,,