एक कैलकुलेशन अगर समझ आये तो......
वो ये कि 90 के दशक में जवानी की दहलीज में कदम रखता एक युवा उस दौर के मंदिर मस्जिद विवाद में उलझा दिया जाता है। जिस साल वो ग्रेजुएशन करके निकलता है उसी साल बाबरी मस्जिद तोड़ दी जाती है। धर्म की सियासत मन्दिर मस्जिद विवाद से अपने चरम तक जा चुके धार्मिक उन्माद को ठहरने नहीं देती है और इस युवा की भी बाजुएँ दिन रात फड़कती रहती है। उसके बाद के दो दशक के दौरान धीरे धीरे कम होते धार्मिक उन्माद के बावजूद समय समय पर इस विवाद को ज़िंदा रखने का तरकीब निकाल ...ली जाती है मगर न विवाद सुलझता है और न मंदिर बनता है न मस्जिद। 2010 नजदीक आने के साथ साथ उस युवा को धीरे धीरे समझ आने लगता है कि उसके साथ जो धर्म और उन्माद का खेल खेला जा रहा है उसके बेनिफिसियरी सियासतदां राजनीति में स्थापित हो चुके है मगर वो उनके फैलाये उन्माद के पीछे भागता अपनी नौकरी की उम्र पार कर चुका है और कोई ठीक ठाक धंधा पानी करने के लिए उसके पास पूंजी भी नहीं है । मगर आज 2016 में वो युवा फक्र से कह सकता है कि वो बेरोजगार नहीं है बल्कि कहीं चाय की गुमटी लगा कर या कहीं टायरों के पंचर बना कर देश की जीडीपी में अपना योगदान दे रहा है।
उस युवा का नाम राजीव, सुधीर, इस्माइल या जावेद जो चाहो आप रख सकते हो।
वो ये कि 90 के दशक में जवानी की दहलीज में कदम रखता एक युवा उस दौर के मंदिर मस्जिद विवाद में उलझा दिया जाता है। जिस साल वो ग्रेजुएशन करके निकलता है उसी साल बाबरी मस्जिद तोड़ दी जाती है। धर्म की सियासत मन्दिर मस्जिद विवाद से अपने चरम तक जा चुके धार्मिक उन्माद को ठहरने नहीं देती है और इस युवा की भी बाजुएँ दिन रात फड़कती रहती है। उसके बाद के दो दशक के दौरान धीरे धीरे कम होते धार्मिक उन्माद के बावजूद समय समय पर इस विवाद को ज़िंदा रखने का तरकीब निकाल ...ली जाती है मगर न विवाद सुलझता है और न मंदिर बनता है न मस्जिद। 2010 नजदीक आने के साथ साथ उस युवा को धीरे धीरे समझ आने लगता है कि उसके साथ जो धर्म और उन्माद का खेल खेला जा रहा है उसके बेनिफिसियरी सियासतदां राजनीति में स्थापित हो चुके है मगर वो उनके फैलाये उन्माद के पीछे भागता अपनी नौकरी की उम्र पार कर चुका है और कोई ठीक ठाक धंधा पानी करने के लिए उसके पास पूंजी भी नहीं है । मगर आज 2016 में वो युवा फक्र से कह सकता है कि वो बेरोजगार नहीं है बल्कि कहीं चाय की गुमटी लगा कर या कहीं टायरों के पंचर बना कर देश की जीडीपी में अपना योगदान दे रहा है।
उस युवा का नाम राजीव, सुधीर, इस्माइल या जावेद जो चाहो आप रख सकते हो।
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