तुझे आखिर ये क्या हो गया है
किस बात पे तू मुझ से खफा है
तू कहे तो छोड़ दूं ये खुदाई भी
सिर्फ कह दे यही के तू मेरा है
जिस्म हूँ मैं तो ,तू जान है मेरी
फिर भी क्यों तू मुझ से जुदा है
बिछड़ के भी तुझसे मैं ज़िंदा रहा
शायद ये किसी की बददुआ है
सबकी अपनी अपनी मजबूरियां है
कैसे कहदूँ नासिर के तू बेवफा है