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Sunday, January 8, 2017

तू मेरे साथ रह के भी मुझको कभी न मिला

इस शहरे बे अमां में अपना कोई न मिला
गले लगाके जिसे रो सकूँ ऐसा कोई न मिला

जानते हैं सब यहां ओहदों के नाम से
ढूढने के बाद भी कोई आदमीं न मिला

इस कायनात से बस एक तुझे ही माँगा था
मगर मेरा नसीब के मुझे तू ही न मिला

नज़दीकियों के बाद भी तुझ को न देख पाया
तू मेरे साथ रह के भी मुझको कभी न मिला

सारे रिश्ते यहां नासिर घरों में रहते हैं
इस शहर में कोई भी अजनबी न मिला