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Sunday, July 10, 2016

तू शाहीन है , परवाज़ है काम तेरा ।

तू शाहीन है परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमान और भी हैं

खुदी को कर बुलंद इतना के हर तक़दीर से पहले
खुद बन्दे से कगद पूछे के बता तेरी रज़ा क्या है .।

जिस काम में आज मुसलामानों कोे आगे होना चाहिए वहा से तो तुम कोसों दूर हो  ,

ये हमारा आलंया है के , जिस मज़हब की इब्तदा , तालीम से शुरू हुई हो उस कौम के लोग आज सब से जाहिल क़ौम में शुमार हो रहे हैं ,
नबीये करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया ,के इल्म मोमिन का गुमशुदा माल है ,
मिसाल के तौर पे ये तसव्वुर करें के आपका कोई कोई बहुत कीमती चीज़ गुम हो जाए , तो आप उसे कितने बेकरारी से तलाश करेंगे ,?
ठीक वही हाल मुस्लमानों का इल्म के साथ होना चाहिए ,
कहते हैं के यूनान में सुकरात के मक़बरे के पास कुछ बुक्स और तहरीरें पड़ी थीं ,
मुसलामानों का एक ग्रुप वहां पहुंचा , और कहा के ये सब हमें दे दो ,
वहाँ के लोगों को मालूम था के मुसलमान किसी भी कीमत पे ये  खरीदेंगे ,
उन्हों ने कहा के ये तो हम सोने के बदले में देंगे , वो मुसलमान उसवक्त वो किताबें सोने के बदले खरीद लाये ,
और एक हम हैं के , बच्चे को पढ़ाने की बात आती है तो अपनी तंग दस्ती का रोना रोने लगते हैं ,
क्या उनके पास बहुत सारा सरमाया था ?
क्या वो हम से बहुत ज़्यादा अमीर थे ?
नहीं उनको इल्म सीखने का जनूँन था
जभी तो , जिस कौम को सब से गवार और जाहिल कहा जाता था एक ज़माने में उनके इल्म का जादू सर चढ़ के बोलने लगा था ,
आज हम अपनी ज़वाल की इंतहा को पहुचे हुए हैं ,
फिर भी हमें एहसास नहीं ।
मुसलामानों में कुछ जाहिल और कम अकल लोगों ने जिहाद का मतलब ही बदल दिया हैं ,
जिहाद किसे कहते हैं असल में उन्हें पता ही नहीं ,
मुसलामानों , ये तुम कैसा जिहाद कर रहे हो ?
जिस जिहाद का ज़िक्र हमारे नबीये करीम सल्ललाहो अलैहे वसल्लम ने हुकुम दिया वो तो तूम कर नहीं रहे हो ?
अरे बेवकूफों , अगर जिहाद का इतना ही शौक़ है , तो अपने पढ़े लिखे नौजवानों से कहो के किसी गरीब और पसमांदा इलाके में जाएँ और वहाँ केे मुस्लिम बच्चों को जाके अच्छा अच्छा तालीम दें ,
ताके वो आगे चल कर अपना हक़ लेने का हौसला पैदा करें ,
सियासी मैदान में हो या तिजारत में आगे बढ़ें , और दुनिया से अपना हक़ छीन लेंने का हुनर पैदा करें।
हमारे नबी ने पहले कर के दिखाया फिर हुकुम दिया के , ऐसा करो ,
और एक तुम हो के डायरेक्ट जन्नत में जाने का रास्ता तलाश करतेे हो ?
ये कैसे मुमकिन होगा ,
उसके लिए पहले अपने किरदार को इस क़ाबिल बनाओ,
फिर देखना कामयाबी तुम्हारे क़दम चूमेगी,

खुदी को कर बुलंद इतना के हर तक़दीर से पहले ,
खुद बन्दे से खुद पूछे ,के बता तेरी रज़ा क्या है ।।