ये जो अतराफ़ में रिश्तों का जाला है
एक भी इसमें न काम आने वाला है
नही उम्मीद कोई साये से भी अपने
इसका लहजा भी तो ज़माने वाला है
यादे माज़ी में रोने से अब क्या हासिल
गुज़र गया जो ज़माना न आने वाला है
है अगर शौके मुहब्बत तो यादों से करो
यही वो शय है जो साथ निभाने वाला है
आओ अब लौट चलें अपने आशियाने में
धूप तेज़ है बाहर तूफां भी आने वाला है।