हर जगह पे ज़ुल्म के शिकार हम हैं
दुश्मनों के फिर भी तरफदार हम हैं
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ज़ुलमे खिलाफ चलती थी जो कभी
खालिद बिन वलीद की तलवार हम हैं
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भेजदे ऐ खुदा फिर से कोई ,,खालिद ,,
जालिमों के बीच में फिर लाचार हम हैं
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खाते रहे सीनों अपनी हम गोलियां
फिर भी आज देश के गद्दार हम हैं
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हमारे साथ भी आज इन्साफ तो करो
नासिर अपने हक की तलबगार हम हैं
nasir siddiqui