एक रिवायत है , के शाही मस्जिद के सामने एक भिकारी बैठा लोगों से भीक माँगा करता ,
एक रोज़ एक अँगरेज़ अफसर आया, उस भिकारी ने उस से कुछ पैसों का सवाल किया ,
उस अफसर ने अपने बटुवे से कुछ पैसे निकाल कर उस भिकारी को दिए ,इसी बीच गलती से उसका बटुआ गिर गया और वो भिकारी को मिला ,
उस भिकारी ने उसे बहुत तलाश किये , पर वो अँगरेज़ न मिला।
वो भिकारी उस बटुवे को संभाले रखा लगभग एक सात बीत गए ,
फिर अगले साल वो अँगरेज़ उस मस्जिद में सैर को आया , भिकारी ने उसे देखते ही कहा सर ज़रा ठहरिये आप का कुछ सामान मुझे लौटना है ,
वो भागा भागा घर गया और वो बटुआ जिसे एक साल से संभाल के रखा था , ले आया और उस अफसर को दिया , वो अफसर बड़ा हैरान हुआ, वो कभी अपने बटुए को देखता और कभी उस भिकारी को ,
फिर कहा के अरे तुम एक भिकारी हो, और तुम्हे पता है मेरे इस बटुए में हज़ारो पोंड्स पड़े हुए थे , तुम चाहते तो इस से अपना कारोबार सेट कर सकते थे , अपने ज़रुरत की सारी चीज़ें खरीद सकते थे ? मगर तुमने इसे पुरे एक साल संभाल के रखा?
तो उस भिकारी ने बड़ा ही खूबसूरत जवाब दिया ,
सर कल क़यामत के दिन आपके नबी हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम मेरे नाभि मुहम्मदुर रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम कहेंगे के मेरे एक उम्मती का बटुवा गिर गया था , और आपके उम्मती ने उठा लिया था और उसे लौटाया नहीं , तो उस वक़्त हमारे नबी कितनी शर्मिंदह होंगे ,
जनाब मैं भिकारी हूँ बेगैरत नहीं , मेरी गैरत ने मुझे रोक लिया।
ये गुलामी के दौर की कहानी है ,और आज हम आज़ाद होकर भी मस्जिदों से हमारे जुटे चोरी हो जाते हैं।, हमारा ईमान कहाँ हैं , हम किस ईमान का दावा करते हैं,
एक रोज़ एक अँगरेज़ अफसर आया, उस भिकारी ने उस से कुछ पैसों का सवाल किया ,
उस अफसर ने अपने बटुवे से कुछ पैसे निकाल कर उस भिकारी को दिए ,इसी बीच गलती से उसका बटुआ गिर गया और वो भिकारी को मिला ,
उस भिकारी ने उसे बहुत तलाश किये , पर वो अँगरेज़ न मिला।
वो भिकारी उस बटुवे को संभाले रखा लगभग एक सात बीत गए ,
फिर अगले साल वो अँगरेज़ उस मस्जिद में सैर को आया , भिकारी ने उसे देखते ही कहा सर ज़रा ठहरिये आप का कुछ सामान मुझे लौटना है ,
वो भागा भागा घर गया और वो बटुआ जिसे एक साल से संभाल के रखा था , ले आया और उस अफसर को दिया , वो अफसर बड़ा हैरान हुआ, वो कभी अपने बटुए को देखता और कभी उस भिकारी को ,
फिर कहा के अरे तुम एक भिकारी हो, और तुम्हे पता है मेरे इस बटुए में हज़ारो पोंड्स पड़े हुए थे , तुम चाहते तो इस से अपना कारोबार सेट कर सकते थे , अपने ज़रुरत की सारी चीज़ें खरीद सकते थे ? मगर तुमने इसे पुरे एक साल संभाल के रखा?
तो उस भिकारी ने बड़ा ही खूबसूरत जवाब दिया ,
सर कल क़यामत के दिन आपके नबी हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम मेरे नाभि मुहम्मदुर रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम कहेंगे के मेरे एक उम्मती का बटुवा गिर गया था , और आपके उम्मती ने उठा लिया था और उसे लौटाया नहीं , तो उस वक़्त हमारे नबी कितनी शर्मिंदह होंगे ,
जनाब मैं भिकारी हूँ बेगैरत नहीं , मेरी गैरत ने मुझे रोक लिया।
ये गुलामी के दौर की कहानी है ,और आज हम आज़ाद होकर भी मस्जिदों से हमारे जुटे चोरी हो जाते हैं।, हमारा ईमान कहाँ हैं , हम किस ईमान का दावा करते हैं,