एक मेसेज भारत वासिओं के नाम
आज मैं कई देनों से इसबात को ढूंढ रहा था के आखिर वो क्या बात है जो आज हमारे हिन्दू मुस्लिम के बीच दूरी बढती जा रही है ,,,तो जहां तक मैं इस बात समझ सका ,,, ,मुझे यही लगा के आज हमारे बीच मीडिया और फेसबुक वगैरह के माध्यम से बात को तोड़ मरोड़ के पेश की जाती है और हम इस बात के तह तक नहीं पहुँचने दिया जाता है और फिर कुछ लोगो की तरफ से हल्ला गुल्ला शुरू हो जाता है ,,मेरे ख्याल से दो चार लोगों को छोड़ कर सभी लोग इसमें नेता भी शामिल हैं यही चाहते हैं की किसीको किसी से मतभेद ,,लड़ाई या नफरत न हो सब लोग मिल जुल के मुहब्बत से रहे ,,ये कुछ मीडिया के लोग और फेसबुक यूज़र्स सिर्फ अपनी पापुलरिटी बढाने के लिए इन सब बातों को बाधा चढ़ाके हमारे सामने पेश करते हैं ,,इसलिए मैं सभी लोगों से ये विनम्रता पूर्वक अपील करता हूँ के ,,सब प्यार मुहब्बत से रहें हमें इस भारत देश को बहुत आगे लेजाना है,, इस तरह लड़ झगड़ के अपना फ्यूचर क्यूँ खराब करें ,,सब को इस भारत में ही रहना है तो क्यूँ न शान्ति और चैन से रहें आपस में लड़ने झगड़ने से आज तक किसका क्या भला हुआ है जो हमारा होगा ,,दोस्तों हम सबको एक होकर इन देश के दुश्मनों से लड़ना है जब तक हम एक नहीं होंगे हम कभी आगे नहीं बध्सकते ,,,प्यार बांटो प्यार से रहो ,,हिन्दुस्तान जिंदाबाद ,,,आखिर में यही कहना है के ,,
डॉ. इकबाल का ये कलाम मैं अपनी एकता के लिए लिखना चाहूँगा ,,,,,,,
ग़ुरबत में हूँ अगर हम रहता है दिल वतन में
समझो वहीँ हमें भी दिल हो जहां हमारा
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दुस्तान हमारा
इकबाल कोई मोह्रिम अपना नहीं जहां में
मालूम क्या किसी को दर्दे निहां हमारा
,,नासिर सिद्दीकी ,,