I'm a Product

Saturday, October 1, 2016


Nasir siddiqui

#ये_कह_के_मेरा_दुश्मन_मुझे_हँसते_हुए_छोड़_गया
#के_तेरे_अपने_ही_बहुत_हैं_तुझे_रुलाने_के_लिए

जन सैलाब का भी चक्कर अजीब है ,
कभी किसी इंसान को हीरो बना दता है तो कभी किसी के लिए मुसीबतेँ खड़ी कर देता है ,

जब साहेब का ज़माना हुआ करता था ,तब सीवान का हर #टपोरी अपने आपको साहेब का #करीबी बताता ,और उस #क़ुरबत की आड़ में न जाने कैसे कैसे काण्ड हुए ,जो साहेब के लिए और मुश्किलें खड़ी करते चले गए,
और तो और जब उन्हें जेल से ज़मानत पर रिहा किया जा रहा था , तब हज़ारों की तादाद में #जनसैलाब उमड़ पड़ा था ,
और पब्लिक की इस इज़हारे मुहब्बत को देख के सियासी लोगों को लगा ,के अभी सिर्फ ज़मानत पे रिहा होने पे ऐसा #जनसैलाब उमड़ पड़ा है तो आगे क्या होगा ?
जब वक़्त सातज न दे , मुश्किलों स चाहे जितना भी भागो , वो पीछा नहीं छोड़तीं,
और शायद यही #जनसैलाब की वजह से इतना, मीडिया कवरेज मिला के #राजनेताओं के आँख की #किरकिरी बन के खटकने लगे।
और इसी बढ़ती पॉपुलैरिटी के डर से नेताओं के इशारे पर दुबारा उन्हें फिर से जेल जाना पड़ा ,

अगर यही काम उनके समर्थक शान्ति से चुपचाप किये होते, तो शायद आज ,झारखण्ड के मंत्री, (जो की अपने ही सेक्रेटरी की हत्या के आरोपी थे कानोंकान किसी को खबर न हुई वो बाहर आगये ) तो शायद आज साहेब को दुबारा जेल नहीं जाना पड़ता ,

फिर आप , इलेक्शन के टाइम , चाहे जितना अपनी मुहब्बत और दीवानगी उनके प्रति ज़ाहिर करते, कौन क्या कर लेता ????

ऐसे लोगों को राजनीति समझने के लिए अभी और कुर्बानी देनी पड़ेगी ,तब ये राजनीति समझ आएगी,

एक कहावत है के ,
बेवकूफ की दोसती से अक्लमंद की दुश्मनी अछि
Nasir Siddiqui,,e