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Saturday, September 24, 2016


सीवान के पत्रकार हत्या मामले के एक point of view


किसी भी मामले में आरोप प्रत्यारोप तो लगते ही रहते हैं मगर यहां मामला एक मुस्लिम नेता की छवी खराब करने में किस किस तरह का हथकंडा इस्तमाल किया जा रहा है ये आम आदमी सोच भी नहीं सकता,

पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा को किस तरह से राजनीतिक मोहरा बना कर इस्तेमाल किया जा रहा है.
जब से वो होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह से मिली हैं, उनके सुर बदले हुए हैं
कोई और उनके कंधे पर अपनी बंदूक रखकर निशाना लगा रहा है. इस मामले में पूरी तरह से राजनीति की जा रही है.

ज़रा सोचें के एक पत्रकार की पत्नी को दिल्ली कौन ले गया था?
केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात के बाद उनके सुर बदल गये. इससे ये बात ज़ाहिर होता है कि वो राजनीति के चक्कर में फंस गई हैं.
उनसे जो बोलने को कहा जा रहा है, वो वही बोल रहीं हैैं.
ये याद रहे के मोहम्मद शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने से सिवान के सांसद ओमप्रकाश की कुर्सी खतरे में पद गई है ये बात सभी जानते हैं के सीवान में जितनी पकड़ शहाबुद्दीन की है उतना कोई नहीं ,और जितना उन्हों विकास किया है सीवान का किसी ने नहीं किया
जितना का छोड़ कर वो गए थे आज भी उसी पर अटक हुआ है
क्योंकि बीजेपी सांसद ओमप्रकाश सीवान रहते कहा है जो वो सिवा। के बारे में सोचें ,

ज़रा ठंडे दिमाग से सोचें के अगर आशा रंजन को राजदेव की हत्या का आरोप मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हीं लगाना था तो शुरूआती दौर से लगातीं?
दिल्ली जाने के बाद उनकी भाषा क्यों बदल गई ?
यह सभी जानते हैैं. उन्हें ऐसा बोलने के लिए निर्देश दिया गया है.
और एक पत्रकार के खाते से एक साथ 13 लाख रुपये का बड़ा अमाऊँट बरामद होना भी एक सवाल खड़े करता है ,
कुछ लोगों का कहना है के राजदेव रंजन ज़मीन खरीदो फरोख्त के कारोबार से जुड़े हुए थे ,
CBI के जांच का केंद्र उस ऒर भी होना चाहिए ।
फिलहाल जांच जारो है ,
अब देखें ऊंट किस करवट बैठता है ।

नासिर सिद्दीकी