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Saturday, August 17, 2013


जो ख्वाब तुमने दखे वो पुरे हो भी सकते हैं
हँसते हैं जो लोग तुम् पे वो रो भी साकते हैं

शर्त ये है हमारी एकता बनी रहनी चाहिये
ये दुश्मन हमारी एकता में खो भी सकते हैं

हम लाख बुरे सही पर हैं तो एक ही देश वासी
हम अपने दामन पे लगे दाग़ धो भी सकते हैं

जिस फसल का सपना देखा था पूर्वजों ने
नासिर हम आज वो फसल बो भी सकते हैं