शेख साअदी शिराज़ी रहमतुल्लाह अलैह की वो शोहरा ए आफाक रूबाई आप ने सुनी है
र वायत के मुताबिक वो तीन ही शेर लिख पाये थे रूबाई कि तक्मील के लिये उन्हे चौथा शेर नही मिल पा रहा था जिस से मदीना पहुंच ने के बाद भी गमगीन रहे और इसी फिकर में सो गये !
कि ख्वाब में नबी ए मुर्सलीन हजरत मुहम्मद सल लल्लाहो अलैही वसल्लम को सहाबाए कराम के साथ देखा !
खातेमुन्नबीईन सल लल्लाहो अलैही वसल्लम ने शेख साअदी रहमतुल्लाह अलैह से पूछा क्यों गम्गीने हो ?
शेक सादी रह्मतुल्लाह ने कहा आकाये दोजहां सल ...लल्लाहो अलैही वसल्लम आपकी शान में एक रुबाई लिखी थी मगर चौथा शेर समझमे नही आरहा है कि क्या लिखूं !
आप सल लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया अच्छा फिर पढो !
और उन्होने जब तीनो शेर पढकर अभी खत्म भी नही किया था की चौथा शेर भी रहमतों की नज़ूल की तरह उनके ज़ेहन में आगया और रुबाई मुकम्मल होगयी ! जो पूरी दुनिय में यों मशहूर है !
ब, ल, ग़ल उला बि कमाले ही !
क, श , फद दुजा बि जमाले ही !!
हसुनत जमीओ खिसा लेही !
सल्लू ' अलै हि व आ लेही !!
१- पहले शेर का मतलब है - सरकार ए दोआलाम ने मेराज का सफर अपनी मख्सूस ज़ात के कमाल के ज़रिये किया
जबकी जिबराईल अमीन से लेकर बुराक को भी आगे जाने का हुकम न था !
ये हमारे नबी का कमाल था !
२- दूसरे शेर का मतलब है - पैगम्बर के जमाल के वजह से अंधेरा खत्म होगया और पूरी कायनात उनके जमाल के नूर से भर गयी !
३- तीसरे शेर का मतलब है - नबि ए मुकर्रम के सभी खसायेल या खूबिया अतम दरजा की हसीन है !
४- उस नबी ए पाक और उनकी आल व औलाद पर सलात ओ सलाम है !
सल लल्लाहो अलैहे व,सल्लम
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