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Thursday, February 2, 2017

झूट बोलूं तो खुद पत्थर हो जाऊं

सच बोलूं तो पत्थर चले मुझ पर
झूट बोलूं तो खुद पत्थर हो जाऊं

आ समेट लूँ तुझे अपनी आगोश में
डूबा लूँ खुद में और समंदर हो जाऊं

तुझसे बिछड़ के अब लगता है मुझे
जिस्मो जान से मैं अब बेघर हो जाऊं

मेरी ये शादाबी तुम से है नासिर
तू अगर न हो तो मैं बंजर हो जाऊं 

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