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Friday, September 13, 2013

चलो एक बार

चलो एक बार मिलके ये जताया जाए
हमारी एकता को ज़माने में देखाया जाए
भड़कती जा रही है जो नफरतों की आग
चलो उस आग को मिलके बुझाया जाए
यूं तो सजदे किये हैं हम ने बहुत लेकिन
आज किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए
कड़ी धुप में उठा ता रहा वो बिझ अपना
चलो किसी ग़रीब का हाथ बटाया जाए
सर्द रातों में सिसकता रहा मासूम का दिल
किसी यतीम के सर पे हाथ घुमाया जाए
 
हमारे शहर में भूके बहुत हैं नासिर
चलो किसी भूके को खाना खिलाया जाए

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