चलो एक बार मिलके ये जताया जाए |
हमारी एकता को ज़माने में देखाया जाए |
भड़कती जा रही है जो नफरतों की आग |
चलो उस आग को मिलके बुझाया जाए |
यूं तो सजदे किये हैं हम ने बहुत लेकिन |
आज किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए |
कड़ी धुप में उठा ता रहा वो बिझ अपना |
चलो किसी ग़रीब का हाथ बटाया जाए |
सर्द रातों में सिसकता रहा मासूम का दिल |
किसी यतीम के सर पे हाथ घुमाया जाए |
हमारे शहर में भूके बहुत हैं नासिर |
चलो किसी भूके को खाना खिलाया जाए |
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