तंग होगया हूँ मैं आज अपने इस आज़ादी में |
लौटा दो कोई मुझे मेरे बचपन की वादी में |
सुनी सुनाई बात नहीं इस बात में सच्चाई है |
ज़हरभरा माहौल बना है आज हमारी आबादी में |
आपस में लड़ते हैं मंदिर मस्जिद की खातिर |
संघी है कोई, तो किसी का नाम है जिहादी में |
दुश्मन जिसको समझते रहे हम अपने मोहल्ले का |
आज उसी ने साथ दिया मेरी बिटिया की शादी में |
हर बात में मेरी दहशत गर्दी का नारा लगते हैं |
क्यूँके मेरा नाम लिखा जा चुका है आतंकवादी में |
भारत की सब बात करें पर भरत यहाँ कोई नहीं है |
नासिर अपना कोई नहीं तू चल अपनी समादी में |
I'm a Product
Friday, September 13, 2013
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