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Friday, September 13, 2013

तंग होगया हूँ मैं आज अपने इस आज़ादी में
लौटा दो कोई मुझे मेरे बचपन की वादी में
सुनी सुनाई बात नहीं इस बात में सच्चाई है
ज़हरभरा माहौल बना है आज हमारी आबादी में
आपस में लड़ते हैं मंदिर मस्जिद की खातिर
संघी है कोई, तो किसी का नाम है जिहादी में
दुश्मन जिसको समझते रहे हम अपने मोहल्ले का
आज उसी ने साथ दिया मेरी बिटिया की शादी में
हर बात में मेरी दहशत गर्दी का नारा लगते हैं
क्यूँके मेरा नाम लिखा जा चुका है आतंकवादी में
भारत की सब बात करें पर भरत यहाँ कोई नहीं है
नासिर अपना कोई नहीं तू चल अपनी समादी में

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