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Friday, September 13, 2013

डूब जाता है अगर ज़ुल्म का सूरज
तो डूब के फिर से निकलता क्यं है 
अगर तुझे चलने का हुनर आता है
तो फिर हर मोड़ पे फिसलता क्यूँ है

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