अपनी बेबाकी में मैं बहुत मशहूर हूँ
इसी लिए तो आज अपनों से दूर हूँ
मेरी जुबान काट डोज तो कलम बोलेगा
अपने कबीले का मैं बहुत गय्यूर हूँ
सच कहना मेरी फितरत में शामिल है
क्या करू इस लिए तो मैं मजबूर हूँ
मेरी सच्चाई ही मेरा असासा है नासिर
मैं बस इसी काम का मजदूर हूँ
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