वो दूर हो गया है मुझ से आसमां की तारह |
मैं ढूंढ रहा हूँ उसको अनदेखे निशान की तरह |
उसके आने से ज़िन्दगी में बहार आगई थी |
बिछड़ गया फिर वो किसी मेहमान कीतरह |
ज़िन्दगी भर मैं शायद उसे भूल न पाऊँ |
बैठ गया है दिल में मेरे ईमान की तरह |
मैं गया था उसके घर एक मेहमान की तरह |
खुश तो हुआ बहुत मगर बेजुबान की तरह |
बातें उसकी ज़ेहन में हमेशा मेरे नासिर |
गूंजती रहती हैं किसी आजान की तरह |
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