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Friday, September 13, 2013

वो दूर हो गया है मुझ से आसमां की तारह 
मैं ढूंढ रहा हूँ उसको अनदेखे निशान की तरह 
उसके आने से ज़िन्दगी में बहार आगई थी
बिछड़ गया फिर वो किसी मेहमान कीतरह
ज़िन्दगी भर मैं शायद उसे भूल न पाऊँ
बैठ गया है दिल में मेरे ईमान की तरह
मैं गया था उसके घर एक मेहमान की तरह  
खुश तो हुआ बहुत मगर बेजुबान की तरह
बातें उसकी ज़ेहन में हमेशा मेरे नासिर  
गूंजती रहती हैं किसी आजान की तरह 

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