रखना क़दम यहाँ पे अब सभाल के |
होते हैं फैसले भी यहाँ देख भाल के |
इन्साफ चाहिए तो क़दम को बढ़ाइए |
होता नहीं हर फैस्ला सिक्का उछाल के |
पासों ने बदलदिया इन्सान का ज़मीर |
तरीके बदल गये हैं अब बोल चाल के |
फ़ोकट की शायरी से हासिल नहीं है कुछ |
लगिए अब फ़िक्र में ज़रा अहलो अयाल के |
होगए बुज़ुर्ग आप अब तस्बीह उठाइये |
छोडिये अब चक्कर हुस्नो जमाल के |
शुक्रिया है आपका वो तोहफा मुझे दिया |
रख दीया है आपने कलेजा निकाल के |
हालते ज़िन्दगी ने अब करदिया है तनहा |
वरना थे नासिर आदमी हम भी कमाल के |
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