Nasir Siddiqui
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Wednesday, December 14, 2016
फिक्रे मआश अब मुझे सोने नही देती
फिक्रे मआश अब मुझे सोने नही देती
अब इस दौर में जीना जेहाद हो जैसे
हर वक़्त मेरे सीने पे सवार रहती है
याद , तुम्हारी कोई जल्लाद हो जैसे
उन हसींन माज़ी को टटोलने लगता हूँ
ऐसा लगता है मुझे सब याद हो जैसे
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