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Friday, September 13, 2013

हालाते ज़िन्दगी

बना के हमें मुर्गा हेमें हलाल करदेंगे
अब तो हमारे नेता जी कमाल कर देंगे
आज अपने भाषण में नेता जी ने कहा है
इलेक्शन के बाद सब को मालामाल करदेंगे
सब ज्जनते हैं इन नेताओं की फितरत
कर के वादा इस देश को कंगाल कर दें
आज की ये सियासत भी कैसी सियासत है
ऐसा लगता है के नेताओं की ये रियासत है
मशकूक है हर लीडर का आज किरदार यहाँ 
हर तरफ है फैला हुआ आज भ्रस्टाचार यहाँ
सयासी कुर्सी पेबैठ के करें सौदा ईमान का
ज़रासी भी फक्र नहीं इन्हें किसी की जान का
इनका तो बस सपना है सब माल हमारा हो
उजाले में हो घर अपना हर सू अँधेरा हो जाए
चमकती सड़क के नाम पे ये हम से मांगें वोट
काम निकल जाने पर करें ये दिल पर चोट
चारों तरफ लूट मची है नही है मोरव्वत कोई
अपने ही घर लूटें अपना नहीं है लज्ज़त कोई
आपस में हम लड़ बैठे हैं नेताओं की चक्कर में
पिस रहें हैं हम दोनों आपस के इस टक्कर में
बैठे बैठे मैंने सोचा आज कुछ ऐसा कर जाएँ 
नासिर अपना जीवन समाज के नाम कर जाएँ
सलाम तुझ पर ऐ मोहाफिज़े मिल्लत अस्सलाम
सलाम तुझ पर ऐ बानिये वहदत अस्सलाम
सलाम तुझ पर के जिसने जान तक कुर्बान की
सलाम तुझ पर के जिसने परवाह न की जान की
जिसके नाम का खौफ दुश्मन पे यूं तारी हुआ
ऐसा सिपाही जो अपने दुश्मनों पे भारी हुआ
देश के नौजवानों को देश प्रेम का पाठ पढाया
देकर अपनी जान मुश्किल घडी से हमें बचाया
तेरी बहादुरी का चर्चा हम उम्र भर दोहराएंगे
आने वाली नस्लें तुम्हारी बहादुरी को दोहराएंगे
कमी रहेगी देश को तुम्हारी ऐ शहीद अब्दुल हमीद
सलाम करता है तुझे नासिर ऐ शहीद अब्दुल हमीद
 —
ये सियासत बहुत गन्दा है साहब
मगर यही क्या करें धंदा है साहब
कल जिसने बे गुनाहों को मारा था 
अपने ही कबीले का बन्दा है साहब
अपनी जिम्मेदारियों से ऐसे वो भाग रहे हैं 
कहने पे आयें तो ये कहदें सारी बात
इन आंसुओं की कोइ जुबांन नहीं है
अब ये देश आज़ाद होगया है नासिर 
जो चाहो करो ये वो हिन्दुस्तान नहीं है
अपनी जिम्मेदारियों से ऐसे वो भाग रहे हैं 
के अपनी कुर्सी को ही वो अब त्याग रहे हैं 
आज के इस हादसे ने डरा दिया है सबको
बरसों से जहां एक साथ लोग बाग रहे हैं
कुछ लोगों ने फैलाया है ज़हर हमारे बीच !
हमारे बीच में छुपे बैठे कुछ नाग रहा है !!
मशहूर है संस्कृति जहां की दुनिया भर में 
उसी देश में एक दुसरे से सब भाग रहे हैं 
हालात ने उडादी है आँखों की मेरी नींद
चैन की एक पल केलिए हम जाग रहे हैं
इस दुनिया में लाख मैं मशहूर हूँ साहेब
लेकिन वतन से अपने तो दूर हूँ साहेब
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यूं तो देखाने के लिए मैं हंसता बहुत हूँ
मगर एक ख़ुशी के लिए तरसता बहुत हूँ
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पर्देसिओं की ज़िन्दगी भी एक मुसीबत है
मगर क्या करें हम यही हमारी किस्मत है
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ख़ुशी की एक घडी के लिए हम सब तरसते हैं
हमारी आँखों में बस ख्वाब ही ख्वाब बसते हैं
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मगर इन ख़्वाबों की कोई ताबीर नहीं होती
ख्वाब के अलावा अपनी कोई जागीर नहीं होती
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कभी तन्हाई में बीते लम्हे जब याद आते हैं
आँखों से मेरी नींद और मेरे चैन उड़ जाते हैं
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सोचता हूँ अक्सर ये ज़िन्दगी कैसे गुज़रती है
हमारी ज़िन्दगी भी क्या खेल हम से करती है
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यूं तो मिलना बिछड़ना दस्तूर है ज़माने का
मगर जल के मर जाना किस्मत है परवाने का
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पर्देसिओं बीवी के चेरे से उसका दर्द यान होता है
सोहागन हो के भी विधवा सा गुमान होता है
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दुनिया में ऐसा भी नाकोई मजबूर हो यारब
कोई भी इस तरह अपनों से न दूर हो यारब
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याद आता है बिछड़ने की घडी मुझको
बहुत बेचैन करदेता वो घडी मुझ को
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